November 11, 2025 8:59 am

कोसारटेडा सिंचाई परियोजना में करोड़ों का पीसवर्क घोटाला: कार्यपालन अभियंता वेद प्रकाश पाण्डेय बना भ्रष्टाचार का मास्टरमाइंड

कोसारटेडा सिंचाई परियोजना में करोड़ों का पीसवर्क घोटाला: कार्यपालन अभियंता वेद प्रकाश पाण्डेय बना भ्रष्टाचार का मास्टरमाइं

स्थानीयों को दरकिनार कर रायगढ़-रायपुर के ठेकेदारों को बांटे 90% काम, बिना काम के जारी हुए भुगतान!

जगदलपुर/बस्तर।
बस्तर जिले की एकमात्र सिंचाई परियोजना कोसारटेडा में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये के पीसवर्क घोटाले का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस पूरे घोटाले के मास्टरमाइंड के रूप में कार्यपालन अभियंता वेद प्रकाश पाण्डेय का नाम प्रमुखता से उभरकर सामने आया है, जिन्होंने नियमों की धज्जियां उड़ाकर विभागीय प्रक्रिया को ठेंगा दिखा दिया।

🔍 पीसवर्क की आड़ में खुला भ्रष्टाचार का जाल

वेद प्रकाश पाण्डेय ने अधीक्षण अभियंता की अनुमति से मुख्य नहर, सहायक नहरों की मरम्मत, सिल्ट सफाई, जंगल क्लीयरेंस, बैक में मिट्टी भराई और रख-रखाव जैसे कार्यों को पीसवर्क के रूप में स्वीकृत किया।

परंतु आश्चर्यजनक रूप से इनमें से 90% से अधिक काम रायगढ़, बिलासपुर, कोरबा, बालोद, धमतरी और रायपुर के ठेकेदारों को आवंटित किए गए— जबकि ये छोटे-छोटे कार्य मात्र ₹2 से ₹2.5 लाख के थे। इतनी दूर से आकर इन कार्यों को करना स्थापना व्यय के कारण आर्थिक रूप से ही अव्यवहारिक है।

📌 स्थल पर कार्य नदारद, सिर्फ कागजों में हुआ निर्माण

स्थानीय जांच में सामने आया कि ज्यादातर कार्य स्थलों पर कोई कार्य हुआ ही नहीं है। यानी पूरा खेल सिर्फ कागज़ों और फर्जी एस्टीमेट के माध्यम से रचा गया।

जबकि विभागीय वर्क मैनुअल के अनुसार:

  • सिल्ट सफाई केवल मुख्य अभियंता की अनुमति से की जा सकती है।
  • भूमिगत नहरों में बैक फिलिंग (मिट्टी भराई) तकनीकी रूप से संभव ही नहीं।

फिर भी वेद प्रकाश पाण्डेय ने मनमर्जी से यह सब कार्य मंजूर किए।

💸 फर्जी दस्तावेज और मिलीभगत का खेल

इस घोटाले में उपयंत्री (Sub Engineer) द्वारा तैयार किए गए फर्जी एस्टीमेट, एसडीओ द्वारा 100% कार्य जांच की फर्जी पुष्टि, और अकाउंट सेक्शन व लेखा परीक्षक की आंख मूंद कर पास की गईं भुगतान फाइलें— सभी को बराबर का दोषी माना जा रहा है।

🗣️ ‘50 लाख की पोस्टिंग है, खर्च तो निकालना ही है’ – बोटी पाण्डेय का खुला ऐलान!

सूत्रों की मानें तो वेद प्रकाश उर्फ “बोटी पाण्डेय” विभागीय कर्मचारियों से अक्सर कहते हैं:

“50 लाख की पोस्टिंग है, हाथ पर हाथ रख कर थोड़ी बैठा हूँ! मंत्री लोकल में रहते हैं, उनके शौक, चिल्ले-पिल्लों का खर्चा सब मुझे ही उठाना पड़ता है।”

जो भी अधीनस्थ अधिकारी इस प्रकार के नियमविरुद्ध कार्यों से इनकार करता, उसे वेद प्रकाश पाण्डेय द्वारा मंत्री से शिकायत कर ट्रांसफर करवा देने की धमकी दी जाती रही है।

🧨 क्या विभागीय मंत्री के संरक्षण में हुआ घोटाला?

यह मामला और भी गंभीर हो जाता है जब यह स्पष्ट होता है कि यह पूरा प्रकरण जल संसाधन मंत्री के ही विधानसभा क्षेत्र में हुआ है।
क्या यह केवल अधिकारियों की लापरवाही है, या फिर सत्ता संरक्षित भ्रष्टाचार?

📢 शासन की जीरो टॉलरेंस नीति की अग्नि परीक्षा

पीसवर्क की अनुमति सिर्फ तब दी जा सकती है जब किसी संरचना की स्थिति खतरनाक हो और जनहानि की संभावना हो, साथ ही स्थानीय प्रचार और प्रतिस्पर्धी दरों के आधार पर ही ठेके दिए जा सकते हैं।

यहां इन सभी नियमों की सरेआम अवहेलना की गई है।


जनहित की मांग: उच्चस्तरीय स्वतंत्र जांच कराएं मुख्यमंत्री

इस घोटाले ने न केवल बस्तर के सिंचाई हितों को नुकसान पहुंचाया, बल्कि शासन की ईमानदार प्रशासन की छवि को भी धक्का पहुंचाया है।

मुख्यमंत्री से अपील है कि वे:

  • इस पूरे प्रकरण की स्वतंत्र एजेंसी से उच्चस्तरीय जांच कराएं
  • वेद प्रकाश पाण्डेय सहित सभी दोषियों के विरुद्ध निलंबन और कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करें
  • विभागीय मंत्री की भूमिका की भी निष्पक्ष जांच कराएं

तभी जाकर “जीरो टॉलरेंस फॉर करप्शन” का नारा जमीनी स्तर पर विश्वास के रूप में बदल सकेगा।

 

🧾 भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं: अंबिकापुर में भी विवादों से घिरे थे EE वेद प्रकाश पाण्डेय

पहले भी घटिया निर्माण, अनियमितता और निलंबन झेल चुके हैं ‘बोटी’ पाण्डेय

🔹 वर्तमान में कोसारटेडा सिंचाई परियोजना में करोड़ों की अनियमित तकनीकी स्वीकृति देने वाले कार्यपालन अभियंता वेद प्रकाश पाण्डेय का इतिहास भी घोटालों से भरा हुआ है।

🔍 जब वे अंबिकापुर (सरगुजा) जिले में पदस्थ थे, तब भी उन्होंने इसी प्रकार की मनमानी तकनीकी स्वीकृतियां, पीसवर्क के नाम पर बंदरबांट, और स्थानीय ठेकेदारों को दरकिनार कर बाहरी संपर्कों को लाभ पहुंचाना जैसे गंभीर आरोप झेले थे।

📉 उन पर घटिया निर्माण कार्यों की शिकायतें इतनी बढ़ गईं थीं कि उन्हें निलंबित किया गया था।
शासन द्वारा गठित जांच समिति ने उनके कार्यों में गंभीर अनियमितताएं और गुणवत्ता में भारी गिरावट की पुष्टि की थी।

🧱 उस समय भी वेद प्रकाश पाण्डेय पर आरोप थे कि:

उन्होंने बिना अनुमोदन के कार्यों की स्वीकृति दी

कार्यस्थल पर कार्य के बदले सिर्फ कागजों में भुगतान किया

ठेकेदारों को मिलीभगत से लाभ पहुंचाया

सरकारी धन का अनुचित उपयोग किया

👀 हैरत की बात यह है कि इतने गंभीर आरोपों और निलंबन के बावजूद, उन्हें विभाग में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के साथ दोबारा पदस्थ कर दिया गया, और अब बस्तर में उसी पैटर्न पर करोड़ों की गड़बड़ियां दोहराई जा रही हैं।

📌 विभागीय सूत्र मानते हैं कि वेद प्रकाश पाण्डेय का राजनीतिक संरक्षण इतना मजबूत है कि वे प्रत्येक घोटाले के बाद और ऊंचे पदों पर पदस्थ होते गए, जिससे उनका दुस्साहस और भी बढ़ता गया।

अब सवाल यह है:

क्या इस बार भी पुरानी तरह बोटी पाण्डेय बच जाएंगे, या शासन वास्तव में जीरो टॉलरेंस नीति पर अमल करेगा?

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