November 11, 2025 9:05 am

CCF प्रभात मिश्रा की मौन सहमति से वन विभाग की ज़मीन पर माफियाओं का कब्ज़ा! – कानून बना तमाशबीन

वन विभाग की ज़मीन पर माफियाओं का कब्ज़ा! अधिकारी मौन, कानून बेबस

रिकॉर्ड में DFO के नाम दर्ज भूमि पर चल रहा अवैध निर्माण – सवालों के घेरे में पूरा सिस्टम

📍 कटघोरा/पसान | विशेष रिपोर्ट

कटघोरा वनमंडल अंतर्गत पसान में वन विभाग की कीमती ज़मीन भू-माफियाओं के कब्ज़े में चली गई है। हैरानी की बात यह है कि यह वही ज़मीन है, जो रिकॉर्ड में खुद डीएफओ – नॉर्थ डिवीजन, बिलासपुर के नाम दर्ज है। बावजूद इसके न तो विभाग ने कोई रोक लगाई, न ही कोई कानूनी कार्यवाही की गई।

सूत्रों के मुताबिक DFO निशांत कुमार और CCF प्रभात मिश्रा की चुप्पी सवालों के घेरे में है। बताया जा रहा है कि CCF की निकट भविष्य में होने वाली रिटायरमेंट को सुखद बनाने की मंशा में यह सब “मिलीभगत” से हो रहा है। वन विभाग की बेशकीमती ज़मीन पर चुपचाप कब्जा होने दिया जा रहा है ताकि माफिया और अफसर – दोनों की जेबें भर सकें।

रिटायरमेंट से पहले “सेटिंग”? CCF प्रभात मिश्रा की चुप्पी में भू-माफियाओं ने निगली वन विभाग की ज़मीन

🔹 कटघोरा वनमंडल में विभागीय भूमि पर माफियाओं ने किया कब्जा
🔹 रिकार्ड में डीएफओ के नाम दर्ज जमीन पर अवैध निर्माण
🔹 CCF प्रभात मिश्रा की निष्क्रियता पर उठ रहे गंभीर सवाल
🔹 क्या रिटायरमेंट से पहले “सेटिंग” का खेल चल रहा है?


🧾 रिकॉर्ड में DFO के नाम, ज़मीन पर माफिया के कब्जे

खसरा नंबर 181/2, रकबा 0.2020 हेक्टेयर जमीन पसान बस स्टैंड के समीप स्थित है, जो वन विभाग के आवासीय परिसर के रूप में दर्ज है। लेकिन आज उस भूमि पर न कोई विभागीय भवन है, न ही वन विभाग का नियंत्रण – क्योंकि अब यह भू-माफियाओं के निर्माण स्थल में तब्दील हो चुकी है।


🏗️ बाउंड्री वॉल के भीतर माफियाओं का कब्जा, खुलेआम निर्माण 

वन विभाग की बाउंड्री वॉल के भीतर घुसकर पुराना सरकारी भवन तोड़ दिया गया। अब वहां दुकानों और मकानों का निर्माण जोरों पर है। विभाग के अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी मौन हैं, मूकदर्शक हैं।


🔍 रेंजर की मिलीभगत, DFO की चुप्पी – सिस्टम पर गंभीर सवाल

स्थानीय सूत्रों का कहना है कि रेंजर और माफियाओं के बीच सांठगांठ है और DFO की निष्क्रियता ने इस कब्जे को संभव बना दिया। पूरी प्रक्रिया में वन विभाग का रवैया न केवल संदेहास्पद है, बल्कि शर्मनाक भी।


🛑 कहां गया कानून? कहां है 1927 का वन अधिनियम?

भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 26(1) स्पष्ट रूप से कहती है कि कोई भी व्यक्ति वन भूमि पर अतिक्रमण नहीं कर सकता, न ही निर्माण कर सकता है। लेकिन कटघोरा में कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं – और शासन-प्रशासन मौन है।


🔴 यह सिर्फ ज़मीन पर कब्ज़ा नहीं – विभाग की साख पर हमला है

आज सवाल यह है:

  • क्या DFO और CCF की चुप्पी माफियाओं की ताकत बनती रहेगी?
  • क्या सरकार अब भी सोती रहेगी या कोई उदाहरणात्मक कार्रवाई करेगी?

यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो यह उदाहरण अन्य माफियाओं को भी खुलेआम वन भूमि पर कब्ज़ा करने का रास्ता दिखाएगा।

📣 #कब्जा_खत्म_हो | #वनभूमि_बचाओ | #माफिया_पर_कार्रवाई

– विशेष रिपोर्ट – भांडाफोड़ न्यूज़. कॉम 

CCF प्रभात मिश्रा की मौन सहमति से वन विभाग की ज़मीन पर माफियाओं का कब्ज़ा! – कानून बना तमाशबीन

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