वन विभाग में पदोन्नति विवाद: कर्मचारियों का विरोध, आदेशों पर उठे गंभीर सवाल
छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ ने उठाई आवाज
छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ ने हाल ही में हुई दो कर्मचारियों की पदोन्नति को अवैध बताते हुए तुरंत निरस्त करने की मांग की है। संघ का आरोप है कि यह पूरा प्रकरण विभाग की अंदरूनी अव्यवस्था और बाबू-भइया संस्कृति का नतीजा है, जिसमें अभिलेखों और आदेशों का गलत वाचन कर अधिकारियों को गुमराह किया जाता है।
आदेशों की गलत व्याख्या, अधिकारी बने निशाना
संघ ने आरोप लगाया है कि अधीनस्थ बाबू अक्सर कोर्ट और उच्च कार्यालय से आए आदेशों की गलत व्याख्या करते हैं और अधिकारियों से ऐसे निर्णय कराते हैं, जिनका खामियाजा बाद में उन्हीं अधिकारियों को उठाना पड़ता है। मौजूदा विवाद भी इसी की मिसाल है।
विवादित पदोन्नति की पूरी कहानी
- विनोद मिश्रा ने दैनिक भोगी श्रमिक के रूप में कार्य शुरू की।
- वर्ष 2008 :- इसके बाद: पियून → वायरलेस ऑपरेटर → वन रक्षक बने।
- प्रशिक्षण स्कूल में प्रथम आने के बाद सीधे डिप्टी रेंजर (उपवनक्षेत्रपाल) पर पदोन्नत कर दिए गए।
- जबकि प्रशिक्षण स्कूल में प्रथम आने के बाद सीधे डिप्टी रेंजर (उपवनक्षेत्रपाल) पर पदोन्नत किए जाने का नियम बंद हो चूका था।
संघ का कहना है कि डिप्टी रेंजर पद पर सीधी छलांग का नियम नहीं है। जबकि कई वन रक्षक 15 साल तक सेवा देने के बाद भी बमुश्किल वनपाल तक पहुंच पाए हैं। कुछ तो वनपाल कि बाँट जोह रहें हैं।
सीसीएफ दुर्ग के आदेश पर भी सवाल
CCF DURG ORDER 29-Aug-2025 4-09 pm
हालांकि सभी अभिलेख उपलब्ध न होने के कारण यह कहना मुश्किल है कि सीसीएफ दुर्ग श्रीमती मरसी बेला का आदेश पूरी तरह गलत है। लेकिन संघ की ओर से उठाए गए तर्क और तथ्यों को अनदेखा भी नहीं किया जा सकता।
बाबुओं पर मनमानी का आरोप
जब इस मामले पर अधीनस्थ अधिकारियों और बाबुओं से बात की गई तो उन्होंने साफ कहा कि उन्हें ऊपर से जो आदेश मिलता है, वही वे लागू करते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि बाबू स्तर पर आदेशों की व्याख्या में हेरफेर कर अधिकारियों को फंसा दिया जाता है।
📌 वन कर्मचारी संघ का आरोप
- अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (अराज प्रशासन) रायपुर और हाईकोर्ट के आदेश का गलत वाचन।
- मुख्य वन संरक्षक दुर्ग के कार्यालय से गलत आदेश जारी।
- बाबुओं की मनमानी से अधिकारी गुमराह होकर विवादित पदोन्नति जारी कर बैठे।
- संघ की मांग: आदेश निरस्त हों और जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो।
कर्मचारियों में बढ़ता असंतोष
वन कर्मचारियों का कहना है कि कुछ रक्षक 15 साल से प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग नेताओं और ऊपरी संपर्कों के सहारे तेजी से छलांग लगाते जा रहे हैं। यही कारण है कि विभाग में असंतोष तेजी से बढ़ रहा है।
अब नज़र पीसीसीएफ श्रीनिवास राव पर
अब देखना यह होगा कि पीसीसीएफ एवं वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव इस विवाद पर क्या रुख अपनाते हैं। क्या वे विभागीय परंपरा और नियमों के आधार पर पारदर्शी फैसला लेंगे या फिर बाबूशाही की आड़ में जारी आदेशों को जस का तस छोड़ देंगे?
👉 यह विवाद केवल दो पदोन्नतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे वन विभाग की पारदर्शिता और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है।