September 27, 2025 12:14 am

“जब न्याय ही अन्याय बन जाए तो आवाज़ बनना ज़रूरी है” पंचायत सचिव की मनमानी से लाचार डाटा ऑपरेटर, नियुक्ति के बाद भी वेतन नहीं — शासन-प्रशासन मूकदर्शक

“जब न्याय ही अन्याय बन जाए तो आवाज़ बनना ज़रूरी है”

पंचायत सचिव की मनमानी से लाचार डाटा ऑपरेटर, नियुक्ति के बाद भी वेतन नहीं — शासन-प्रशासन मूकदर्शक

रिपोर्ट: bhandafodnews.com | जिला कोरिया (छत्तीसगढ़)

छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि पंचायतों को सशक्त और जवाबदेह बनाया जा रहा है। लेकिन कोरिया जिले के ग्राम पंचायत रनई से जो सच सामने आया है, वह जनसुनवाई, ई-गवर्नेंस और सुशासन के दावों को खुलेआम नंगा कर देता है।

पीड़ित कौन?

रविन्द्र कुमार साहू, पिता श्री रामसिंकर साहू, निवासी ग्राम पंचायत रनई, जनपद पंचायत बैकुंठपुर। उन्हें पंचायत द्वारा दिनांक 15 मार्च 2025 को डाटा ऑपरेटर पद पर विधिवत नियुक्त किया गया। आदेश की प्रति, सरपंच व पंचों की पुष्टि, कार्यरत प्रमाणपत्र — सब कुछ उनके पक्ष में है।

समस्या क्या है?

पीड़ित रविन्द्र कुमार साहू बीते चार महीने से निरंतर सेवा देने के बावजूद एक रुपये का वेतन भी नहीं पा सके हैं। कारण? पंचायत सचिव श्री जैसवाल द्वारा वेतन स्वीकृति पंजी में हस्ताक्षर करने से इनकार।

जब रविन्द्र कुमार ने सचिव से विनम्रतापूर्वक अनुरोध किया कि वे नियुक्ति आदेश के अनुसार वेतन पर हस्ताक्षर कर दें, तो जवाब मिला —
“हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जो करना है कर लो।”

कहाँ-कहाँ की फरियाद?

ग्राम पंचायत में आवेदन दिया गया

जनपद पंचायत CEO को ज्ञापन सौंपा गया

कलेक्टर कोरिया को भी लिखित शिकायत भेजी गई

जनदर्शन पोर्टल और नगर निगम मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर तक भी गुहार लगाई गई

परिणाम? – अब तक सिर्फ चुप्पी और लापरवाही।

🔴 कठघरे में कौन-कौन?

1. ग्राम पंचायत सचिव जैसवाल

स्पष्ट नियुक्ति आदेश और कार्यरत प्रमाण के बावजूद हस्ताक्षर नहीं करना न सिर्फ कर्तव्य में लापरवाही है बल्कि वेतन रोके जाने की साजिश के अंतर्गत दंडनीय कृत्य है।

यह सरासर उत्पीड़न है, जो छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम के विरुद्ध है।

 

2. जनपद पंचायत CEO – बैकुंठपुर

पीड़ित कर्मचारी ने बार-बार ज्ञापन दिया, फिर भी कार्रवाई नहीं।

क्या CEO की चुप्पी इस अन्याय में मौन समर्थन है?

 

3. कलेक्टर – जिला कोरिया

जनदर्शन जैसा मंच तब मज़ाक बन जाता है जब एक गरीब कर्मचारी चार महीने से बगैर वेतन दर-दर की ठोकरें खाता है और DM ऑफिस मूकदर्शक बना रहता है।

 

 

🚨 सरकार के लिए खुला सवाल:

> “क्या पंचायत सचिवों को इतना अधिकार है कि वे नियुक्त कर्मचारियों को वेतन से वंचित रखें?”
“क्या कलेक्टर और जनपद CEO जैसे अधिकारी अब केवल फाइल पर दस्तखत करने और फोटो खिंचवाने तक सीमित हैं?”

 

💥 क्या रविन्द्र का कसूर ये है कि वह गरीब है?

वो न तो किसी मंत्री का रिश्तेदार है, न किसी दल का बड़ा नेता। लेकिन हर पंचायतवासी के दस्तावेज संभालने वाला ईमानदार कर्मचारी है। जिस व्यक्ति को ग्राम पंचायत के पंच, सरपंच और ग्रामीण खुले दिल से उसकी कार्यकुशलता के लिए प्रमाण-पत्र देते हैं — उसी के साथ यह अन्याय क्यों?

हमारी माँग और सवाल:

1. सचिव जैसवाल को तत्काल सस्पेंड किया जाए।

2. रविन्द्र कुमार साहू का रोका गया वेतन तुरंत जारी किया जाए।

3. जनपद पंचायत CEO और पंचायत विभाग से जवाब तलब हो।

4. मुख्यमंत्री जन चौपाल में यह मामला प्राथमिकता में उठाया जाए।

 

📌 “जब नियुक्ति है, सेवा है, प्रमाण है — तो वेतन क्यों नहीं?”

क्या अब छत्तीसगढ़ की पंचायतों में न्याय खरीद कर मिलेगा?

bhandafodnews.com इस खबर को शासन-प्रशासन तक पहुँचाने का माध्यम बन रहा है, लेकिन यदि अब भी आंखें बंद रहीं, तो यही सवाल बनकर गूंजेगा —
“क्या सचिवों के आगे प्रशासन नतमस्तक है?”

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